कैंसर से जीतने के लिए

कैंसर से जीतने के लिए जागरूकता जरूरी : उपराष्ट्रपति



उपराष्ट्रपति एम वेंकया नायडू ने कहा है कि कैंसर के आधुनिक उपचार की सुविधा सबके लिए किफायती और सुगम बनाई जानी चाहिए और इसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने निजी क्षेत्र से इस प्रयोजन में सरकार के प्रयत्नों में सहयोग देने का आग्रह किया। वह चेन्नई में अपोलो के अत्याधुनिक प्रोटोन कैंसर सेंटर, जो दक्षिण पूर्व एशिया में अपने तरह का ऐसा पहला केंद्र है,के उद्घाटन के बाद उपस्थित जन समूह को संबोधित कर रहे थे। श्री नायडू ने प्रोटोन थेरेपी सेंटर आरंभ करने के लिए अपोलो अस्पतालों की सराहना की, जो ट्यूमरों को समाप्त करने के लिए हाई एनर्जी प्रोटोन का उपयोग करते हैं। श्री नायडू ने कहा कि प्रोटोन उपचार लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण है। उन्होंने कहा कि कैंसर का अत्याधुनिक उपचार बहुत से रोगियों को कैंसर से लड़ने और संतोषप्रद जीवन व्यतीत करने की अधिक ताकत देता है। उन्होंने कहा कि यह बिना निकटस्थ अंगों को नुकसान पहुंचाए प्रभावित क्षेत्र को पृथक कर देता है और इस प्रकार बच्चों और जटिल मामलों में कैंसर के उपचार के लिए, जहां कैंसर प्रभावित अंग जीवन के लिए महत्वपूर्ण अंगों के बेहद निकट स्थित हैं, सर्वाधिक उपयुक्त है। उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि कैंसर ने 1990 की तुलना में 2016 में दोगुने से भी अधिक लोगों की जान ले ली। उन्होंने आरंभ में इसका पता लगाने को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत तथा व्यापक शैक्षणिक अभियानों एवं जांच कार्यक्रमों के जरिए शुरू में ही इसका पता लगाने की संभावना बढ़ाने पर जोर दिया। श्री नायडू ने सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और अस्पतालों से व्यापक रूप से कैंसर जागरूकता शिविरों को आयोजित करने की अपील की। श्री नायडू ने अपोलो अस्पताल जैसे संस्थानों को शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों के लिए चलंत जांच वैन आरंभ करने का सुझाव दिया, जिससे कि अधिक से अधिक लोग जांच कार्यक्रमों के दायरे में आ सके। उन्होंने कहा कि कैंसर के बारे में जागरूकता एवं आरंभिक चरण में रोग का पता लगने से इसके खतरों से बचा जा सकेगा। देश शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच सेवाओं के प्रावधान में बड़ी विषमता की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनी सुविधाएं विस्तारित करने की अपील की जहां भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा विषय रहता है। उन्होंने कहा कि भारत ने कुछ संक्रामक रोगों के उन्मूलन में सफलता पाई है और स्वास्थय सेवा प्रदायगी में सुधार हुआ है, इसके बावजूद स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी कई चुनौतियां हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपर्याप्त सार्वजनिक व्यय, निम्न चिकित्सक- रोगी अनुपात, निजी व्यय का बड़ा हिस्सा, ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य बीमा पैठ का अभाव और अपर्याप्त बचाव संबंधी तंत्र भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष प्रमुख निष्क्रिय चुनौतियों में से है। उपराष्ट्रपति का विचार था कि इन बड़ी चुनौतियों में कुछ का समाधान सार्वजनिक निजी साझेदारी के जरिए किया जा सकता है और यह सुदूर क्षेत्रों में तकनीकी रूप से उन्नत प्राथमिक एवं लिए द्वितीयक स्वास्थय केंद्रों के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं में वर्तमान में व्याप्त शहरी ग्रामीण अंतर को पाट सकता है। आयुष्मान भारत योजना को 10 करोड़ निर्धनों एवं निर्बल परिवारों को व्यापक बीमा कवरेज प्रदान करने की केंद्र सरकार की एक बड़ी प्रमुख पहल करार देते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए देश भर में 150,000 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना करेगी। श्री नायडू ने कहा कि स्वास्थ्य की बढती लागत लोगों पर एक बड़ा बोझ है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्रों में सभी हितधारकों के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए कि लाखों लोग उपचार पर निजी व्यय और उपचार की उंची लागत के कारण गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंस जाते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य व्यय को न्यूनतम बनाने और यह सुनिश्चित करने कि प्रत्येक व्यक्ति को बिना वित्तीय परेशानी के गुणवत्तापूर्ण उपचार प्राप्त हो, के लिए सभी संभावनाओं की खोज करने का सुझाव दिया। उपराष्ट्रपति ने लोगों को असंक्रामक रोगों के प्रभाव को न्यून करने के लिए निष्क्रिय जीवन शैली छोड़ने को कहा और उन्हें नियमित व्यायाम करने, स्वस्थ भोजन का सेवन करने की सलाह दी। उन्होंने उनसे नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य जांच कराते रहने एवं बदलती जीवन शैली के दुष्प्रभावों से बचने के लिए प्रयास करने को कहा। श्री नायडू ने कहा कि बचाव देखभाल स्वास्थ्य देखभाल का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है।