9 साल पुराने फ्रोज़न एम्ब्रायो से मिला महिला को दूसरी बार  माँ बनने का अवसर

 


 



अनीता (बदला हुआ नाम), जिन्हेँ फर्टिलिटी से सम्बंधित समस्या थी, उन्होने 38 साल की उम्र में दोबारा माँ बनने का फैसला किया, जबकि माँ बनने का प्राथमिक दौर निकल चुका था। मगर 9 साल पुराने फ्रोज़न एम्ब्रायो और “ब्लूम फर्टिलिटी सेंटर” के आईवीएफ एक्सपर्ट की टीम ने उनकी सारी अडचनोँ को दूर करने में मदद की और अंततः उन्हेँ दोबारा मातृत्व सुख पाने का अवसर मिला।


गर्भधारण में असफल अनीता (बदला हुआ नाम) माँ बनने की अपनी दिली इच्छा क पूरा करने के लिए दिल्ली की आईवीएफ क्लीनिक में पहुचीँ। उनक शरीर से लिए गए 22 अंडाणुओँ में 8 ब्लूम फर्टिलिटी सेंटर में सुरक्षित रखे गए थे।


अनीता काफी घबराई हुई थीँ और परेशान थीँ, बावजूद इसके ब्लूम आईवीएफ में रोजन एम्ब्रायो ट्रांसफर के जरिए गर्भधारण का उनका पहला अनुभव काफी सुखद रहा। आठ में से पांच एम्ब्रायो का इस्तेमाल ब्लास्टोसिस्ट बनाने के लिए किया गया जिसे अनीता के गर्भाशय में रखा गया: और सौभाग्य से इनमे से एक उनके गर्भाशय में रुक गया और वह गर्भवती हो गईँ और वह अपने पहले बच्चे को जन्म दे सकीँ।


लेकिन यह बात 2009 की है, जब अनीता 29 वर्ष की थीँ। वर्ष 2018 में 38 साल की अनीता एक बार फिर अपने दूसरे बच्चे के लिए ब्लूम फर्टिलिटी सेंटर में आईँ; मगर इस बार यहाँ आने से पहले उन्होने अमेरिका के आईवीएफ क्लीनिकल में गर्भधारण के लिए प्रयास किया था, मगर वह असफल रही थीँ।


फोर्टिस ला फेम, नई दिल्ली के फोर्टिस ब्लूम आईवीएफ सेंटर के गायनेकॉलजिस्ट एवम फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. ऋषिकेश पाई ने बताया,“अनीता अपने दूसरे बच्चे के लिए बडी उम्मीद से यहाँ आई थीँ। उन्होने 2015-16 में भी हमसे सम्पर्क किया था, मगर उस समय उनके गर्भाशय की लाइनिंग इस स्थिति में नहीं थी कि वह गर्भधारण कर सकेँ। चूंकि वह अमेरिका में रह रही थीँ, ऐसे में हमने उनको एक हिस्टेरेस्कोपी कराने की सलाह दी।“


हिस्टेरेस्कोपी एक प्रॉसीजर है जिसे फर्टिलिटी क्लीनिक में यह जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है महिला के प्रजनन सम्बंधी सेहत की क्या स्थिति है। इस प्रॉसीजर में डॉक्टर ग्रीवा और गर्भाशय की करीब से जांच करके गर्भाशान सम्बंधी मेडिकल समस्याओँ की पहचान करते हैं।


फोर्टिस ला फेम, नई दिल्ली की फोर्टिस ब्लूम आईवीएफ सेंटर की गायनेकॉलजिस्ट और फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. नंदिता पालशेतकर कहती हैं, “दूसरी बार में यह मामला पूरी तरह से अलग था। अनीता सपोर्टिंग प्रेग्नेंसी का प्राथमिक दौर पार कर चुकी थीँ। अमेरिका में वह पहले ही असफल प्रयास कर चुकी थीँ। साथ ही, हमारे पास सिर्फ तीन फर्टिलाइज्ड एम्ब्रायो बचे थे जिन्हेँ 9 साल पहले फ्रीज़ किया गया था। हमने उन्हेँ बेहद कम चांस और इससे सम्बंधित चुनौतियोँ के बारे में पहले ही बता दिया। उनकी सहमति के बाद, हमारी टीम एम्ब्रायो ट्रांसफर की प्रक्रिया को आगे बढाया।“


फरवरी 2018 में, बेहद सावधानी पूर्वक अनीता के गर्भ में तीन एम्ब्रायो ट्रांसफर किए गए। 6 हफ्ते के बाद खुशखबरी आई, और वह जुडवा बच्चोँ के साथ गर्भवती हो गईँ। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीँ टिकी और 11वेँ हफ्ते में उनके एक भ्रूण का विकास रुक गया, जिससे वह खराब हो गया।


यद्यपि, दूसरा भ्रूण जीवित रहा और इसका विकास हुआऔर इसी साल नवम्बर महीने में अनीता ने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया।


फोर्टिस ला फेम, नई दिल्ली की फोर्टिस ब्लूम आईवीएफ सेंटर की गायनेकॉलजिस्ट और फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. सुनीता अरोडा ने कहा,“यह बहुत बडी खबर थी। क्योंकि कम उम्र से ही अनीता को फर्टिलिटी सम्बंधी समस्याएँ थीँ, बावजूद इसके वह 38 साल की उम्र में 9 साल पुराने एम्ब्रायो से गर्भवती हुईँ और अपने दूसरे बच्चे को जन्म दे सकीँ। यह सब अनीता के समय पर लिए गए उस फैसले का परिणाम था जो उन्होने 29 साल की उम्र में लिया था और अपने अम्ब्रायो को फ्रीज़ कराया था।“


भारत में आईवीएफ प्रॉसीजर अपनाने और अंडाणुओँ को फ्रीज़ कराने का चलन तेजी से बढ रहा है, इससे महिलाओँ को उम्र बढने के साथ होने वाली फर्टिलिटी सम्बंधी समस्याओँ से निबटने में मदद मिल रही है, अब वे अपनी सहूलियत के हिसाब से यह तय कर सकती हैं कि उन्हेँ पहला बच्चा कब चाहिए और कब वे दूसरी बार माँ बनना चाहती हैं। यद्यपि, 9 साल पुराने फ्रोज़न एम्ब्रायो से बच्चे का जन्म हो पाना भारत के लिए बेहद दुर्लभ मामला है।