डायबिटीज पीड़ितों के लिए घातक मच्छर जनित रोग : डॉ कालरा


 


आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 100 से अधिक देशों में मच्छरों की वजह से होने वाली बीमारियां मौजूद हैं। पूरी दुनिया में मच्छरों द्वारा 30 से 50 करोड़ लोग संक्रमित होते हैं और हर साल करीब 10 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। भारत में लगभग 4 करोड़ लोग मच्छर जनित रोगों से पीड़ित हैं। इसके अलावा, देश में स्वाइन लू से प्रभावित लोगों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। चिंता की बात यह है कि इन सभी बीमारियों का मधुमेह रोगियों पर बड़ा असर पड़ता है। पहले से ही जटिलताएं झेल रहे लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे मच्छर जनित बीमारियों या स्वाइन लू से बचने के उपाय करें और सुरक्षित रहें।
इस बारे में बताते हुए, भारती हॉस्पिटल, करनाल के कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एंडोक्राइन सोसाइटीज के वाइस प्रेसीडेंट, डॉ. संजय कालरा ने कहा, ‘हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी संक्रमण का सबसे पहले मुकाबला करती है। जब कोई वायरस, जीवाणु या परजीवी शरीर पर हमला करता है, तब इन रोगाणुओं को बाहर निकालने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है। इससे पहले कि शरीर को कोई नुकसान हो पाये, हमारा इम्यून सिस्टम इन सब को रोकने की कोशिश करता है। डाइबिटीज जैसे रोगों से पीड़ित व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली और सभी अंग पहले से ही कमजोर हालत में होते हैं। मच्छर जनित बीमारियां और अन्य रोग जैसे स्वाइन लू के कारण बुखार हो जाता है और मैटाबोलिज्म की दर बढ़ जाती है। इससे ब्लड शुगर के लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है। यदि डाइबिटीज पीड़ित लोगों को अच्छी तरह से माॅनीटरिंग की जाये, तब तो ठीक, वरना गंभीर जटिलताओं का जोखिम उत्पन्न्ा हो जाता है।’
डायबिटीज के रोगियों के रक्त में प्लेटलेट कम होने के कारण एक समस्या यह भी होती है कि यदि उनका एक बार खून बहना शुरू हो जाये तो रोकना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से हाइपोटेंशन हो सकता है शरीर के कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के मूत्र केटोंस की जांच करना जरूरी हो जाता है ताकि पता लग सके कि उनके शरीर में कहीं एसिड का स्तर बढ़ तो नहीं गया।
डॉ. कालरा ने आगे बताया, ‘इस तरह के मामले देश में लगातार बढते जाने से यह जरूरी हो जाता है कि ज्यादा खतरे वाले रोगियों की निरंतर निगरानी और मॉनिटरिंग की जाये। कुछ मामलों में, संक्रमण से रोगी की नजर पर फर्क पड़ सकता है। इससे मस्तिश्क में सूजन आ सकती है। शरीर को सेप्टिक शाॅक लग सकता है, या कई अंग एक साथ फेल हो सकते हैं। यदि आप डायबिटीज की अधिक खतरे वाली स्थिति में हैं, तो सावधान रहें। मच्छरों की अधिकता वाले क्षेत्रों में न रहें और तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। समय पर चिकित्सा लेने और निगरानी रखने से जीवन को बचाने में मदद मिल सकती है। यदि किसी मधुमेह पीड़ित को 24 घंटे से अधिक बुखार रहता है तो उन्हें अपने चिकित्सक से मिलना चाहिए। कंडीशन के हिसाब से, दवाओं की खुराक बदलनी पड़ सकती है।’