एचएसवी-1 वायरस से होता है जननांगों में हर्पीज रोग

जननांगों में हर्पीज या दाद का यह रोग असाध्य तो है, परंतु सुरक्षित यौन संबंध और दवाओं के सेवन से इसे नियंत्रित अवष्य किया जा सकता है



 


डाॅ.के.के.अग्रवाल


नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 50 वर्ष से कम वाली आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा अत्यधिक संक्रामक हर्पीज वायरस की परेशानी झेल रहा है। पचास से कम उम्र के 3.7 अरब से अधिक लोग हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप  1 (एचएसवी-1) से ग्रस्त हैं, जो आमतौर पर बचपन में लग जाता है। आईएमए के अनुसार, यह वायरस मुंह में चारों ओर छाले पैदा कर देता है। एचएसवी-1, जननांगों में संक्रमण का कारण भी बनता जा रहा है, खासकर अमीर देशों में।
एचएसवी-1 या एचएसवी-2 वायरस लंबे समय तक निष्क्रिय पड़ा रहता है। जब यह फिर से सक्रिय होता है, तब जननांगों में हर्पीज रोग का फैलाव कर सकता है। यह एक असाध्य बीमारी है, और एक बार होने पर, कोई व्यक्ति जीवन भर इसकी परेशानी झेलता रहता है। पहली बार इस तरह का दाद होने पर अक्सर परेशानी लंबे समय तक बनी रहती है।
इस बारे में बताते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ‘आईएमए‘ व हार्ट केअर फाउंडेशन के अध्यक्ष पùश्री डाॅ. के के अग्रवाल तथा आईएमए के मानद महासचिव डाॅ. आर एन टंडन ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, ‘जेनाइटल हर्पीज यौन क्रिया से फैलने वाला रोग (एसटीडी) है जो घाव पैदा कर देता है। ये द्रव से भरे दर्दनाक फफोले होते हैं जो फूटने पर तरल पदार्थ का रिसाव कऱ सकते हैं। यह वायरस श्लेश्मा झिल्ली के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह नाक, मुंह और जननांगों में पाया जाता है। एक बार शरीर के अंदर पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में डेरा जमा लेते हैं। वायरस बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं और जल्दी से खुद को माहौल के अनुकूल कर लेते हैं। इसलिए इस संक्रमण का इलाज मुश्किल हो जाता है। यदि गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को यह रोग हो जाये, तो डॉक्टर को सूचित करना चाहिए, ताकि डिलीवरी के दौरान इस वायरस को फैलने से रोका जा सके।’
महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही इसके कुछ सामान्य इस प्रकार होते हैं- मुंह, होंठ, व अन्य स्थानों पर छाले, इनमें खुजली व जलन, घावों पर पपड़ी जम जाना, लिम्फ ग्रंथियों में सूजन, सिर दर्द, शरीर दर्द और बुखार आदि।
डा. अग्रवाल ने आगे बताया, ‘सुरक्षित यौन संबंध इससे बचाव का एक कारगर उपाय है। यौन क्रिया के समय निरोध का उपयोग करना चाहिए, ताकि ये वायरस संपर्क में आकर फैलने न पायें। हालांकि इस कंडीशन का कोई इलाज नहीं है, दवा से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। यह रोग शरीर के भीतर निष्क्रिय पड़ा रहता है और तभी फैलता है जब तनाव, बीमारी या थकान जैसी किसी अवस्था से यह सक्रिय नहीं हो जाता। चिकित्सक से चर्चा करके इसके उपचार की पहल करनी चाहिए।’
जेनाइटल हर्पीज को रोकने के लिए यहां कुछ टिप्स दिये जा रहे हैं-
- यौन संसर्ग के समय हर बार निरोध का प्रयोग अवश्य करें। लेटेक्स से बना कंडोम संक्रमित क्षेत्र को कवर करते हुए इस वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है।
- अपने साथी के यौन जीवन की जानकारी रखें। अनेक साथियों के साथ यौन संसर्ग करने वाले लोगों में इस इस वायरस से संक्रमित होने की अधिक संभावना है।
- सुरक्षित यौन क्रिया को प्राथमिकता दें। हर्पीज पीड़ित व्यक्ति के साथ यौन संबंध न बनाएं।
- जेनाइटल हर्पीज की आशंका होने पर अपने यौन साथी का मेडिकल परीक्षण करायें। यदि आशंका हो तो अपना भी परीक्षण करा लें।