गर्भावस्था में एंडोमेट्रियोसिस से जटिलताए

गर्भावस्था के दौरान एंडोमेट्रियोसिस से जटिलताए हो सकती हैं : डॉ. अग्रवाल


 



डाॅ.के.के.अग्रवाल
गर्भवती महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस गर्भावस्था और डिलीवरी के दौरान कई जटिलताओं का कारण बन सकती है। इनमें समय से पूर्व प्रसव और सीजेरियन आॅपरेशन भी शामिल हैं। यह निष्कर्ष हाल ही में हुए एक अध्ययन से सामने आया है, जो यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि गर्भावस्था के दौरान ऐसी महिलाओं को किसी भी तरह की जटिलताओं पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए। आईएमए के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस बीमारी से, एंडोमेट्रियम में सूजन हो सकती है। साथ ही, प्रत्यारोपण के दौरान प्रोगेस्टेरोन के काम में रुकावट पैदा हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस एक दर्दनाक स्थिति है, जिसमें गर्भाशय के अंदर के ऊतक बाहर की ओर बढ़ने लगते हैं। अनुमान है कि प्रजनन की उम्र वाली 10 से 15 प्रतिशत महिलाओं को इस तरह की समस्या पेश आती है। इस हालत में अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब्स और कमर के आसपास के ऊतक चपेट में आ जाते हैं।
इस बारे में बताते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ;आईएमएद्ध व हार्ट केअर फाउंडेशन के अध्यक्ष पùश्री डाॅ. के के अग्रवाल तथा आईएमए के मानद महासचिव डाॅ. आर एन टंडन ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, ‘हालांकि महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न मामलों में बहुत प्रगति हो चुकी है, परंतु एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी कंडीशन है जो देश में जागरूकता की कमी की वजह से बनी हुुई है। इस हालत में, एंडोमेट्रियल ऊतक का फालतू हिस्सा शरीर से बाहर निकलने की बजाय फंस जाता है। जब एंडोमेट्रियोसिस में अंडाशय शामिल होता है, तो यह अल्सर का रूप ले सकता है। इससे आसपास के ऊतकों में जलन हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण कुछ अन्य रोगों से मिलते जुलते हैं इसलिए कई बार इस पर ध्यान नहीं जाता है। इनमें से कुछ अन्य रोग हैं- पैल्विक सूजन (पीआईडी) या डिम्बग्रंथि का अल्सर आदि। हालांकि, कुछ मामलों में एंडोमेट्रियोसिस के साथ आईबीएस हो सकता है, जो समस्या को बिगाड़ सकता है।’
इस कंडीशन का शुरुआती लक्षण है मासिक धर्म के समय पेल्विक दर्द में वृद्धि। अन्य लक्षणों में यौन संसर्ग एवं मल त्याग के समय अत्यधिक दर्द और रक्तस्राव, थकान, दस्त, कब्ज, और सूजन या मतली आदि।
डाॅ. अग्रवाल ने आगे कहा, ‘सेहत के लिए उचित आहार और व्यायाम आदि से शरीर की प्रतिरक्षा में सुधार होता है। इससे कुछ हद तक सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। एंडोमेट्रिओसिस होने पर महिलाओं में हृदय रोग की जांच करना जरूरी है। एंडोमेट्रिओसिस के साथ महिलाओं मंे पुरानी सूजन, उच्च ऑक्सिडेटिव तनाव और हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।’

महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस के जोखिम को रोकने के लिए यहां कुछ टिप्स दी जा रही हैं-
 हार्मोनल बर्थ कंट्रोल विधियां जैसे गोलियां, पैच या एस्ट्रोजन की हल्की खुराक से इस स्थिति को रोकने में मदद मिल सकती है।
 नियमित रूप से व्यायाम करना सेहत के लिए अच्छा है। यह शरीर में वसा को कम करने और एस्ट्रोजेन की मात्रा में कमी लाने में मदद करेगा।
 शराब की अधिक मात्रा लेने से बचें क्योंकि इससे एस्ट्रोजेन के स्तर में वृद्धि हो सकती है।
 ज्यादा कैफीन युक्त पेय न लें।