महिलाओं में दिल का खतरा

भारत वर्ष में महिलाओं को सबसे ज्यादा दिल का खतरा : डॉ. अविनाश



हृदय रोग (सीवीडी) वैश्विक रूप से होने वाली मौतों की एक प्रमुख वजह हैं और भारत में भी यह मौत का बड़ा कारण बन रहा है। सीवीडी के जोखिम का पता लगाने के लिए किया जाने वाला बेहद सामान्य टेस्ट लिपिड टेस्ट है। सामान्य धारणा है कि सीवीडी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होते हैं और दक्षिण एशियाई पुरुषों को औसत तौर पर महिलाओं की तुलना में कम से कम पांच साल पहले ही हार्ट अटैक की समस्या का सामना करना पड़ता है। भारत में प्रख्यात डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल डायग्नोस्टिक्स द्वारा किए गए लिपिड टेस्ट के परिणामों पर ताजा विश्लेषणों से पता चला है कि 41 प्रतिशत से अधिक महिलाओं का लिपिड प्रोफाइल असामान्य है, जिससे यह खतरनाक तथ्य सामने आया है कि भारत में महिलाएं भी दिल के रोगों की शिकार होती हैं।
यह विश्लेषण वर्ष 2014-16 की अवधि के दौरान पूरे भारत में एसआरएल लैब्स में किए कए 33 लाख से अधिक लिपिड प्रोफाइल टेस्ट पर आधारित है
विश्लेषण के उद्देश्य के लिए, एसआरएल ने पूरे देश से प्राप्त हुए सैम्पल को चार जोन- ईस्ट, वेस्ट, नाॅर्थ और साउथ में विभाजित किया है। रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि भारत में दो जोन (नाॅर्थ-33.11 प्रतिशत और ईस्ट - 35.67 प्रतिशत) में ट्राइग्लिसराइड का अधिक असामान्य स्तर पाया गया है जबकि लो एचडीएल और हाई टोटल काॅलेस्टेराॅल लेवल के मामले भारत के साउथ (34.15 प्रतिशत) और वेस्ट जोन्स (31.90 प्रतिशत) में ज्यादा दर्ज किए गए हैं।
लिपिड प्रोफाइल लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल), हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) आदि जैसे लिपिड करियर प्रोटीन में मौजूद काॅलेस्टेराॅल और रक्त में मौजूद फैट्स (ट्राइग्लिसराइड) की मात्रा को मापते हैं। हाई टोटल काॅलेस्टेराॅल लेवल के सामान्य तोर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन इससे उन धमनियों के अवरुद्ध होने की आशंका बढ़ जाती है जो आखिरकार कंठ-शूल, हार्ट अटैक जैसी हृदय संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देते हैं। इसलिए लिपिड लेवल दुनियाभर में सर्वाधिक सुझाए जाने वाले ब्लड टेस्ट में से एक हैं। लिपिड टेस्ट का इस्तेमाल न सिर्फ सीवीडी के जोखिम को मापने के लिए बल्कि काॅलेस्टेराॅल घटाने वाली दवाओं से उपचार शुरू करने के लिए भी किया जाता है।
अध्ययन में निम्नलिखित तथ्यों का भी खुलासा हुआ  हैः
1... 46-60 वर्ष के उम्र-वर्ग को महिलाओं में सीवीडी के लिए बेहद नाजुक अवधि समझा जाता है और यही उम्र वर्ग लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में गड़बड़ी (48 प्रतिशत)  के उच्च स्तर का शिकार होता है।
2.... कुल मिलाकर, अधिक ट्राइग्लिसराइड महिलाओं में ज्यादा असमान (्32 प्रतिशत) पाए गए।
3.... दो जोन्स (नाॅर्थ- 33.11 प्रतिशत और ईस्ट - 35.67 प्रतिशत) में अन्य दो जोन की तुलना में ट्राइग्लिसराइड का ज्यादा असामान्य स्तर पाया गया।
4.... असामान्य एचडीएल के ज्यादा मामले साउथ जोन की महिलाओं में देखे गए, जबकि वेस्टर्न जोन की महिलाओं में टोटल काॅलेस्टेराॅल लेवल (31.90 प्रतिशत) में असामान्यता का अधिक स्तर पाया गया।
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के अध्यक्ष (टेक्नोलाॅजी एंड मेंटर-क्लीनिकल पैथोलाॅजी) डाॅ. अविनाश फडके ने इस शोध पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘भारत में हृदय रोगों की समस्या पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। ज्यादातर महिलाएं स्तर कैंसर को लेकर चिंतित रहती हैं, लेकिन बड़ी तादाद में महिलाओं की मौत कैंसर की तुलना में हार्ट अटैक से होती है। भारत में हृदय  रोग महिलाओं का नंबर वन दुश्मन है। यह खतरनाक स्थिति में है क्योंकि हार्ट अटैक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अलग अलग तरह से देखा जाता है और यह पुरुषों की तुलना में रजोनिवृति के बाद महिलाओं में अधिक घातक है। हम सभी को समाज में इस तथ्य के बारे में मिलकर जागरूकता फैलानी चाहिए।’
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल होने वाले 1 करोड़ मौतों में से लगभग 20 लाख मौतें सर्कुलेटरी सिस्टम की वजह से होती हैं और इनमें से 40 प्रतिशत महिलाएं शामिल होती हैं। अधिक सैचुरेटेड फैट, चीनी और नमक की मात्रा, सब्जियों और साबुत अनाज के कम सेवन से मोटापे का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही ज्यादा समय तक बैठे रहने, तनाव का स्तर बढ़ने और धूम्रपान का भारत में महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य में गड़बड़ी के कारकों में अहम योगदान है।