नर्मदा नागलवाडी उद्ववहन सिंचाई परियोजना

 


नर्मदा नागलवाडी उद्ववहन सिंचाई परियोजना, ग्राम ब्राहमणगांव से नर्मदा (सरदार सरोवर जलासय) से पानी उठाया जायेगा। नर्मदा से 35 किलो मीटर की दूरी पर सांगवी गांव में एक और पम्प हाउस बनाया जायेगा वहां से आगे पानी का बटवारा होगा। मुख्य पाइप लाइन की लम्बाई 119 किलो मीटर बताई गई है। जिससे राजपुर, सेंधवा, तहसील जिला बडवानी और खरगोन जिले की सेगांव तहसील के कुल 66 गांवो में सिंचाई और पिने का पानी के लिये योजना का लाभ बताया है। 38412 हेक्टेयर में सिंचाई होगी।परियोजना की कुल लागत- 1118.3 करोड है।


जहां जेकवेल बनाया जा रहा है वहां 10-15 गरीब किसानों की जमीन है, जिन्हे आज तक न तो सूचना पत्र दिया, और उनकी कितनी जमीन जा रही है यह भी नही बताया है। जेकवेल से आगे की ओर पाइप लाइन किसानों की जमीन से जायेगी उन्हे भी अबतक कोई लिखित सूचना नही दी है। जेकवेल की जगह पर खुदाई का कार्य किया जा रहा हैं। उक्त स्थान पर मिटटी के निचे बालू रेत निकली है जिसका सेगवाल(ठीकरी) निवासी मयुर यादव ठेकेदार द्वारा खनन कर बाहर बेच रहा हैं।


नागलवाडी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना के निर्माण कार्य के पहले सामाजिक असर, क्या होगें, इसका अध्ययन करना था जो न करते हुये कार्य चालु किया है। ग्राम सभा में गांव के किसानों से सहमति लेना यह सबकुछ न करते हुये कार्य आगे बढाया है। डी.पी.आर. में चीचली से उठायेगें लेकिन कार्य ब्राहमणगांव से चालु करना यह सब कैसे इतनी जल्दी बदल रहा है। जिन प्रभावितों की जमीन जा रही है उन्हे नये भूअर्जन कानून 2013 के तहत अधिग्रहण की प्रक्रीया करके मुआवजा राषि देना था वह भी अबतक नही किया है।


ब्राहमणगांव से आगे दाबड, कुवां, डांगरी बघाडी टेमला से सांगवी गांवों से होकर बरूफाटक होते हुये नागलवाडी की ओर जायेगी।नर्मदा से कुवां तक बहुत सारे किसानों की पाइप लाइने है जो खुदाई केे दौरान बाधीत होगी। जिससे यहा के किसानांे की फसल उपज पर असर पडेगा।


योजना के डी.पी.आर. में पहले ग्राम चीचली तहसील ठीकरी जिला बड़वानी से पानी उठाने का बताया गया था लेकिन अभी एलायमेंट बदलकर ग्राम ब्राहमणगांव तहसील ठीकरी से पाईपलाईन का कार्य जेकवेल बनाने का कार्य शुरू किया है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिह चैहान ने जब घोषणा की थी तब अखबारो की खबर ओर वेबसाईट पर इंदिरा सागर परियोजना की मुख्य नहर से पानी उठाकर सिंचाई करने की खबर थी, वह भी बदल गई।


डी.पी.आर. में नर्मदा में कुल पानी की उपलब्धता 28 एमएएफ बताया जिसमें से सिर्फ 18.25 एमएएफ मध्यप्रदेश के हिस्से का पानी बताया गया है। लेकिन आज नर्मदा के उपर बर्गी, इंदिरा सागर, ओकारेश्वर महेश्वर, और सहायक नदियों पर बने बांधो व कम बारीष और आज जलवायु परिवर्तन को देखते हुये नर्मदा में पानी की उपलब्धता क्या है इसकी जांच न करते हुये नर्मदा से कई लिंक परियोजनाओं द्वारा जैसे नर्मदा क्षीप्रा लिंक, मालवा गंभीर लिंक परियेाजना, कालीसिंध लिंक परियोजना, नर्मदा पार्वती, नर्मदा चंबल, नर्मदा माण्डु, नर्मदा मही, ओर इंदिरा सागर परियोजना से लीप्ट की जाने वाली माईक्रो सिंचाई परियोजनाऐ जैसे छेगाव माखन सिंचाई परियेाजना बिस्टान सिंचाई परियेाजना, खरगोन सिंचाई परियोजना, बलकवाड़ा सिंचाई परियेाजना, और नागलवाड़ी सिंचाई परियेाजना, ओर निचे पाटी सिंचाई परियेाजना इतनी परियेाजनाओं के द्वारा नर्मदा से पानी खिच कर अन्य नदियों में डालना, बिना पानी की उपलब्धता को देखते हुये पाइपलाईनो का जांल बिछाया जा रहा है, आज नर्मदा में पानी की स्थिति दिनोदिन गंभीर होती जा रही है, इसलिए वर्ष 2018 में मार्च से जुलाई तक नर्मदा के पानी की स्थिति को देखते हुये नर्मदा के किनारे के ही किसानो की लगी पाइप लाईनो में पानी की कमी महसूस की गई। और कुछ जगह तो नर्मदा में ही गढढे करके पाइप लाईनो में पानी की व्यवस्था किसानो को करनी पडी थी। वर्तमान में भी किसानों को पानी की कमी को देखते हुये पाइप आगे बढा कर नर्मदा तल से पानी खीचना पड रहा है, तो फिर अगर इतनी लिप्ट परियेाजनाओं से अगर नर्मदा से पानी को उठाया जायेगा तो क्या नर्मदा किनारे के किसानो को सिंचाई और पीने के लिये पर्याप्त पानी मिल पायेगा? यह बड़ा सवाल है। यह बड़ा सवाल आज भी खड़ा हैं। नर्मदा बचाओ आन्दोलन का शासन से ऐलान है कि पिछली सरकार द्वारा घोषित हुई नर्मदा से लिंक परियोजनाओं का लाभ हानि एवं पानी की उपलब्धता का पूरा जायजा लेते हुए इन लिंकस का पुनर्मूल्यांकन किया जाए। आज ही नर्मदा तथा उसकी कई उपनदियाँ सूखी हैं तथा इंदिरा सागर व सरदार सरोवर के जलाशयों से लाभार्थी घोषित किये किसानों को भी सही समय पर पर्याप्त पानी नहरों द्वारा प्राप्त नहीं हो रहा हैं। इस स्थिति में निमाड़ के असिंचित किसानों को पानी की पूरी निश्चिती करने के बाद ही नर्मदा से अन्य नदियों तक पानी ले जाने की बात पर सोचना संभव होगा अन्यथा योजना अवैज्ञानिक तथा प्रस्तावित लाभार्थियों के लिए धोका धडी साबित होगी।


नर्मदा बचाओ आन्दोलन यह भी जनता हैं कि कांग्रेस शासन के ही काल में जो २०१३ का उचित मुआवजा, भू-अधिग्रहण तथा पुनर्वास का कानून बना था, उसी कानून के तहत इन परियोजना के सम्बन्ध में पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए न्याय होना यह पूर्व शर्त होगी। प्रभावितों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। हमें आशा हैं कि माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी, गृहमंत्री श्री बालाबच्चनजी, नर्मदा घाटी मंत्री श्री सुरेन्द्र बघेलजी, तथा कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव जी इस बार को नजरअंदाज नहीं करेंगे और किसी भी लिंक परियोजना को पूरे अध्ययन और सोच विचार करके ही आगे बढ़ाएंगे।