भाजपा के संकट मोचक थे पर्रिकर


 


विनोद बब्बर
गोवा के चार बार मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने होली पर देश को रुला दिया। बहुत साहसी थे लेकिन कैंसर से हार गये। उनकी छवि हमेशा सादगी भरी रही। मुख्यमंत्री के साथ ही वह देश के रक्षामंत्री भी बनाए गये लेकिन सादे कपड़े और चप्पल पहन कर ही कभी-कभी कार्यक्रमों मंे पहुंच जाते थे। कभी साइकिल चलाते दिख जाते, तो कभी स्कूटर चलाते वे दिखते थे। बाजार में खरीदारी करने स्वयं निकल जाते थे। पाकिस्तान समर्थक आतंकवादियों ने जब कश्मीर के उरी मंे सैनिक छावनी पर हमला किया तो रक्षामंत्री के रूप मंे मनोहर पर्रिकर ने ही सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान को सबक सिखाया था। उन्हांेने 17 मार्च 2019 को अंतिम सांस ली।
उत्तरी गोवा के मापुसा मंे 13 दिसम्बर 1955 को जन्में मनोहर पर्रिकर की स्कूली शिक्षा गोवा मंे ही मारगाओ से हुई। इसके बाद उन्होंने आईआईटी बाम्बे मंे दाखिला लिया। इस प्रकार 1978 मंे उन्हांेने आईआईटी बाम्बे के मेटालर्जिकल मंे इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा के क्षेत्र मंे वे और आगे बढ़ते, तभी 1981 में मेधा पर्रिकर से उनकी शादी हो गयी। उनकी जीवन संगिनी उनके साथ ज्यादा दिन नहीं रह पायी थीं और सन् 2000 मंे मेघा पर्रिकर का भी कैंसर के कारण निधन हो गया था। विद्यार्थी जीवन मंे ही मनोहर पर्रिकर का झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ था। अखिल  भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से वह छात्र राजनीति से भी जुड़े रहे। उनकी नेतृत्व क्षमता को भाजपा के दिग्गज नेताओं ने समझा और भाजपा ने उन्हंे 1988 मंे सक्रिय राजनीति से जोड़ा। मनोहर पर्रिकर ने 1994 मंे पहली बार जनता के बीच जाकर अपना नेतृत्व पुख्ता कराया और पहली बार वह गोवा विधानसभा मंे विधायक चुने गये। इसके बाद पर्रिकर 2001 तक गोवा की भाजपा इकाई मंे महासचिव और प्रवक्ता के दायित्व का निष्ठापूर्वक निर्वहन करते रहे। उन्होंने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। मनोहर पर्रिकर वर्ष 2000 से 2005 तक पहली बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2012 से 2014 तक उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मंे 2014 मंे केन्द्र मंे सरकार बनायी तो मनोहर पर्रिकर को रक्षामंत्री बनाया गया। इस बीच गोवा मंे मुख्यमंत्री पद की कमान लक्ष्मीकांत पारसेकर को सौंपी गयी थी, उनसे विधायक खुश नहीं थे। इसीलिए 2017 मंे जब विधानसभा के चुनाव हुए तो मनोहर पर्रिकर को ही वहां के मुख्यमंत्री के रूप मंे पेश किया गया। भाजपा की सरकार बनी और मनोहर पर्रिकर को ही फिर मुख्यमंत्री बनाया गया। रक्षामंत्री के पद से उन्होंने इस्तीफा दिया। पारसेकर चुनाव हार गये थे।
गोवा के मुख्यमंत्री पद पर फिर से आने के साथ ही वे गंभीर रूप से बीमार रहने लगे थे। दिल्ली के एम्स मंे उनका काफी समय से इलाज चल रहा था। गत 17 मार्च को 63 साल की उम्र मंे उनका निधन हुआ, जब वह अपने आवास पर ही मौजूद थे। मनोहर पर्रिकर मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते थे। आखिरी सांस तक वह देश सेवा मंे लगे रहे और यही उनका जज्बा था जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत पसंद करते थे। श्री मोदी के वह बहुत करीबी और विश्वासी थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मनोहर पर्रिकर की बहुत तारीफ करते रहते थे। मोदी जी कहते थे कि आधुनिक गोवा के शिल्पकार मनोहर पर्रिकर ही हैं। परिकर की बेदाग छवि और सादगी के कारण ही श्री मोदी उन्हें केन्द्र की राजनीति मंे लाये थे। मनोहर पर्रिकर के काम करने का अंदाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बहुत अच्छा लगता था। इसीलिए पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक वीडियो कांफ्रेंस के दौरान गोवा के एक पार्टी कार्यकर्ता के सवाल के जवाब मंे कहा था, मैं अपने सबसे अच्छे मित्र के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। अफसोस यह कि भगवान ने मोदी की यह कामना स्वीकार नहीं की।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह भी याद था कि उन्हें केन्द्र की राजनीति मंे लाने वाले कौन-कौन लोग थे। इन्हीं लोगों मंे एक नाम मनोहर पर्रिकर का भी था। श्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब मोदी को केन्द्र की राजनीति मंे लाने वालों मंे मनोहर पर्रिकर सबसे बड़े पैरवीकार थे। नरेन्द्र मोदी जब भाजपा के शीर्ष नेता नहीं माने जाते थे, उस समय भी मनोहर पर्रिकर मोदी को राष्ट्रीय नेता के तौर पर ही परिभाषित करते थे और गोवा मंे उनके कार्यक्रमों मंे नरेन्द्र मोदी अतिथि के रूप में जरूर आमंत्रित किये जाते। इतना ही नहीं, जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय भी उन्हंे प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप मंे मनोहर पर्रिकर ने ही लाने का प्रयास किया था। भाजपा को 2009 के लोकसभा चुनाव मंे पराजय का सामना करना पड़ा था। उस समय वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो गये थे। अटल जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। मनोहर पर्रिकर ने उस समय खुलकर कहा था कि नेरन्द्र मोदी को अब आगे लाया जाए। श्री पर्रिकर ने कहा कि था कि देश को नरेन्द्र मोदी जैसे नेता की आवश्यकता है क्योंकि वही भाजपा को शीर्ष तक पहुंचा सकते हैं। यह बात मनोहर पर्रिकर ने उस समय कही थी जब भाजपा की केन्द्रीय समिति मंे नरेन्द्र मोदी को खास महत्व नहंी दिया जाता था।
 क्योंकि कुछ नेताओं की दृष्टि मंे मोदी ने राजधर्म का पालन ठीक से नहीं किया था। मनोहर पर्रिकर का एहसान श्री मोदी ने हमेशा याद रखा। मोदी ने 2014 मंे पीएम बनकर पर्रिकर को 2017 तक अपना रक्षामंत्री बनाया था।
इस तरह जीवट के इंसान थे मनोहर पर्रिकर लेकिन कैंसर से लड़ते लड़ते 17 मार्च को वे पराजित हो गये। अपनी सादगी, निर्भीकता और जीवन जीने की अदम्य शक्ति के कारण ही उन्हंे हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन से देश गम में डूब गया। उधर, गोवा मंे राजनीतिक संकट भी चल रहा था। यह संकट उस समय भी गहरा जाता था जब पर्रिकर गोवा मेडिकल कालेज मंे भर्ती थे। भाजपा के सामने अब गोवा मंे नये नेता के चुनाव की दिक्कत हो रही है। गोवा मंे भाजपा को सरकार बनाने मंे दूसरे दलों की सहायता लेनी पड़ी थी क्योंकि किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। पर्रिकर के निधन से पहले ही कांग्रेस ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। वहां के राजनीतिक समीकरण संभालने का दायित्व केन्द्रीय भूतल परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को सौंपा गया है। श्री गडकरी ने वहां पहुंचकर महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के नेता सुदिन धवलीकर से सलाह-मशविरा किया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ठीक ही कहा कि मनोहर पर्रिकर के निधन से जो पार्टी मंे रिक्तता आयी है उसकी पूर्ति होना असंभव है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति की तारीफ करते थे। श्री राहुल गांधी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दलगत राजनीति से इतर सभी उनका सम्मान करते थे। वह गोवा के सबसे लोकप्रिय बेटों मंे से एक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पर्रिकर के निधन से अपार दुख पहुंचा है। वह कहते हैं मनोहर पर्रिकर बेमिसाल नेता थे। उनकी निस्वार्थ देश सेवा पीढ़ियों तक याद की जाएगी।
इसमंे कोई संदेह नहीं कि मनोहर पर्रिकर ने भाजपा को गोवा मंे शिखर तक पहुंचाया लेकिन परिवार की राजनीति कभी नहीं की। उनका पूरा नाम मनोहर गोपाल कृष्ण पर्रिकर था। राज्य के पारा गांव के कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव छात्र जीवन से था लेकिन उनके परिवार के लोग नहीं चाहते थे कि मनोहर पर्रिकर राजनीति मंे जाएं। इसीलिए 1984 मंे जब पहली बार वह विधानसभा का चुनाव लड़े तो परिवार ने विरोध शुरू कर दिया और बाद मंे मनोहर पर्रिकर ने पार्टी की रणनीति के तहत अपनी उम्मीदवारी वापस भी ले ली थी। इसके बावजूद उनकी राजनीति को जरूरत थी और मनोहर पर्रिकर राजनीति मंे लोकप्रिय सितारे की तरह दमकने लगे थे। आधी बाजू की कमीज (हाफ शर्ट) उनका ट्रेड मार्क बन गयी और जनता उन्हें स्कूटर वाला सीएम पुकारने लगी। गोवा के सबसे पुराने क्षेत्रीय राजनीतिक दल गोमांतक पार्टी की बढ़त रोकने के लिए ही भाजपा 90 के दशक मंे पर्रिकर को राजनीति में लायी थी। अपने कर्तव्य के प्रति वे कितना लगाव रखते थे कि बेहद गंभीर होने पर भी 2019-20 का बजट पेश किया था। ऐसे नेता को शत् शत् नमन करते हुए श्रद्धांजलि देना देश का कर्तव्य है। (हिफी)