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          महात्मा जोतिराव फुले (सन् 1827 से 1890) - आधुनिक महाराष्ट्र की सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, परंपरागत समाज व्यवस्था के विरूद्ध बगावत करने वाले पहले महापुरुष, हजारों वर्षों से चली आई धार्मिक तानाशाही को चुनौती देकर उसके अंजर-पंजर ढीले कर देने वाले कर्मठ समाज सुधारक, सच्चे अर्थों में मानवतावादी महात्मा! महात्मा वही होता है, जो सभी स्त्री-पुरुषों को समानता, स्वतंत्रता तथा बंधुता का लाभ दिलाने के लिए संघर्ष करता है, जो किसी मनुष्य का द्वेष नहीं करता और जो मानव के प्रति करूणा से भरकर सभी मानवों के समान अधिकारों के लिए जीवनभर लड़ता है। जोतिराव ने समाज की प्रगति में अवरोधक दुष्ट रूढ़ियों को तोड़कर हिंदू धर्म को विकासोन्मुख किया। जोतिराव ने महाराष्ट्र को धार्मिक, आर्थिक आदि किसी भी क्षेत्र में गुलामी को रहने देना नहीं चाहते थे और वे जनता को शूद्र, धर्मों, पंथो, संप्रदायों के संकीर्ण दायरे से निकालकर मानव धर्म के महासागर में ले जाना चाहते थे। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था, जिसका प्रमाण है उनके द्वारा किये गये निम्नलिखित कार्य


(1) उन्होने सन् 1848 में पहली कन्याशाला खोली और सन् 1851 में अछूतों के लिए पहली पाठशाला खोली।


(2) उन्होने हिन्दू धर्म के शूद्रों तथा अतिशूद्रों के कष्टों तथा दुखों और यातनाओं को अभिव्यक्ति दी।


(3) अपना कुँआ अछूतों के लिए खोल दिया।


(4) विधवा-विवाह का समर्थन कर सन् 1864 में विधवा विवाह संपन्न कराया।


(5) विधवाओं के अवैध बच्चों के लालन-पालन के लिए सन् 1863 में बाल हत्या प्रतिबंधक गृह खोला।


(6) विधवाओं की गुप्त तथा सुरक्षित प्रसूति के लिए प्रसूतिगृह खोला और उस प्रसूतिगृह में जन्मे काशीबाई नामक विधवा के बच्चे को गोद लिया।


(7) ब्राह्मण विधवाओं के मुंडन (केश वपन) को रोकने के लिए नाइयों को संगठित किया।


(8) बाल-विवाह का विरोध किया।


(9) धर्म मूलक विषमता का उन्मूलन करने के उद्देश्य से 24 सितम्बर 1873 को 'सत्यशोधक समाज' की नींव डाली।


(10) शादी-ब्याह में, समझ में न आने वाले संस्कृत मंत्रों के बदले मराठी में सर्वबोधगम्य मंगल मंत्र बनाये और उनका प्रचार किया।


(11) रायगढ़ स्थित शिवाजी महाराज की समाधि खोजकर उसे सुचारू रूप दिया।


(12) सन् 1879 में बम्बई में मिल मजदूरों का पहला संगठन बनाया और मजदूर आंदोलन में श्री नारायण मेघाजी लोखंडे नामक अपने साथी की विशेष रूप से सहायता की।


(13) जमींदारों के जुल्मों से पीड़ित किसानों की मदद की।


(14) किसानों की दुर्दशा की ओर ड्यूक ऑफ कनाट तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्यान दिलाया।


(15) ग्रंथ लिखकर शूदों तथा अतिशूद्रों में जागृति की और उन्हें वरिष्ठ वर्गों की मानसिक दासता से मुक्त करने का प्रयास किया।


(16) अपनी पत्नी को घर पर पढ़ा लिखाकर उसे अध्यापिका बनने योग्य बनाया जिससे वह पहली भारतीय अध्यापिका बनी।


(17) उन्होंने पूना कन्स्ट्रक्शन कम्पनी बनाकर पूणे, मुम्बई में ऐतिहासिक इमारतें बनाई, खड़कवासला डेम बनाया। जो वर्तमान में मजबूती से उपयोग में आ रही है।


(18) उन्होनें सामाजिक सुधारों के साथ ही कृषि जल संचयन फसल एवं बीज पर अनुसंधान कर कृषकों को आत्मनिर्भर बनाया।


(19) उनकी कृषि बागवानी की लगभग 200 बीघा जमीन पर आधुनिक खेती करने की पहल की।


(20) वे पुणे म्युनिसपल करपोरेशन के कारपोरेटर रहकर स्वच्छता, जल उपलब्धता कराने अधिक कराने अधिक लोगों को रोजगार दिलाने के उपाय किये।


         इन्हीं सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में अभिनव कार्य किये, इसी कारण महात्मा गाँधी ने फुले को असली महात्मा कहा डॉ. भीमराव अम्बेड़कर ने उन्हें अपना गुरू माना एवं संविधान में फुले आदर्शों के अनुरूप समतामय समाज स्थापना हेतु मूलभूत अधिकार सम्पन्न बनाया।